“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मर मिटने वालो का बस यही अब बाकी निशान होगा”
सिर पर लाल चुनरी और फ़िज़ा में घुलता वन्दे मातरम् का नारा, आंखें बरस जाना चाहती हैं, पर वह नहीं चाहतीं अपने पति के शहादत पर कमज़ोर पड़ें। यह उस शहीद भूपेंद्र कुमार की पत्नी हैं, जो आतंकियों से लोहा लेते हुए मणिपुर में शहीद हो गए थे।
शहीद भूपेंद्र कुमार की पत्नी नीतू देवी जब अपने पति को अंतिम विदाई देने पहुंची तो उनकी दिलेरी देखने वाली थी। आख़िर वह दिलेरी हो भी क्यों नहीं। जिस बहादुरी से भूपेंद्र ने आतंक का मुकाबला किया था, उस पर ज़रूर हर भारतीय को गर्व होना ही चाहिए।
यही नहीं, नीतू ने अपने शहीद पति से किया वह वायदा भी निभाया, जिसमें उन्होंने कसमें खाई थी कि चाहें सुख हो या दुख दोनों हमेशा साथ रहेंगे। अंतिम शवयात्रा में श्मशानघाट पहुंच पति के शव को सैल्यूट मारकर अपने पति से किए गए वायदे की भी लाज रख ली।
बता दें कि रविवार को मणिपुर के चंदेल जिले में आतंकियों ने कायराना हमला किया था, जिसमें 6 जवान शहीद हो गए थे। शहीदों में हिमाचल प्रदेश के दो जवान शामिल थे।
शहीद की कवर पर लिपटा तिरंगा जब सेना के अधिकारियों ने राजकीय सम्मान के साथ पत्नी नीतू को सौंपा तो नीतू श्मशानघाट पर अपने आंसू नहीं रोक पाई और उनके साथ वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं।
शहीद के सम्मान में चैलचौक, गोहर और गणई बाजार शोक में बंद रहे। बग्गी, चैलचौक और मौवीसेरी में भी शहीद भूपेंद्र के पार्थिव शरीर का लोगों ने फूलों से स्वागत किया।
वहीं, बिलासपुर के शहीद बलदेव शर्मा की अंतिम यात्रा भी पूरे सम्मान के साथ निकली।
इस शहादत को देखने के लिए लोगों का हुज़ूम उमड़ पड़ा। शहीद की पत्नी नीतू देवी ने कहा कि उन्हें अपने पति की शहादत पर गर्व है और उन्होने प्रण किया है कि पिता की तरह बेटे को भी सेना में अपना योगदान देने के लिए भेजेंगी।
शहीद के पिता गौरीशंकर और माता नागण देवी भी अपने बेटे की शहादत पर नम आंखों से गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।