आज के ज़माने में जहां हर इंसान को सिर्फ अपनी ही फिक्र है वहां दूसरों की मदद करने वाले लोग आपको बहुत कम दिखते हैं और जो लोग दूसरों की मदद के लिए आगे आते भी हैं, वो बस किसी आपदा या आतंकवादी घटना के बाद ही। आमतौर पर लोगों को अपने स्वार्थ पूरा करने से ही फुर्सत नहीं मिलती। वैसे अगर आप ये सोच रहे हैं कि आपदा में लोगों की मदद के लिए आगे आने वाले लोग बहुत महान होते हैं, तो ऐसा कुछ है नहीं, क्योंकि कई बार ये लोग ऐसी मदद करते हैं जो सामने वाले के लिए बहुत उपयोगी नहीं होती, भले ही वो सोचे कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है, मगर असल में उनकी मदद से बहुत फायदा होता नहीं है।
चलिए हम आपको ऐसे कुछ वाकये बताते हैं जिनके बारे में हमें लगता है कि हम सामने वाले की मदद कर रहे हैं, लेकिन असल में वैसा होता नहीं है।
1. आपदा पीड़ितों को पैसों की बजाय सामान देना
किसी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर अक्सर लोग कपड़े या अन्य सामान ज़रूरतमंदों को देते हैं, जबकि इससे अच्छा होता कि वो उन्हें पैसों से मदद करतें। कपड़े आदि सामान को स्टोर करने और उन्हें ज़रूरतमंदों तक पहुंचाने में काफी पैसे खर्च हो जाते है, इसलिए सामान से मदद करने की बजाय पैसे देना अच्छा विकल्प होता है, लेकिन हां दान के पैसे किसी प्रतिष्ठित संस्था को ही दें।
2. गंभीर रूप से बीमार लोगों को मेडिकल सलाह देना
कुछ लोगों को लगता है कि वो मुफ्त की सलाह देकर सामने वाले की मदद कर रहे हैं, मगर ऐसा हर बार हो ज़रूरी नहीं, सिर्फ़ इसलिए कि आपने इंटरनेट या अखबार में किसी बीमारी के बारे में पढ़ लिया है इसलिए आपको उसके बारे में ज़्यादा जानकारी है ऐसा नहीं होता। अगर आप किसी डायबिटीज़ के पेशेंट को सुबह की धूप में चलने की सलाह दे रहे हैं, तो इससे उसकी बीमारी ठीक होने वाली नहीं हैं।
3. लैंडमार्क की बजाय किसी को डिटेल में एड्रेस बताना
आपको भी ऐसे कई लोग मिले होंगे जो आपको शॉर्टकट में पता बताने की बजाय इतनी डिटेल में गली, मोहल्ले का पता बताने लगते हैं कि आप कन्फ्यूज़ हो जाते हैं।
4. किसी चीज़ के लिए बार-बार पूछना, भले ही सामने वाले ने इनकार कर दिया हो
आपको ये ज़रूर ट्राई करना चाहिए, कम से कम एक बार ट्राई कर लीजिए, पक्का आपको ये नहीं चाहिए… अक्सर सफर में आपको मदद के नाम पर इरिटेट करने वाले ऐसे लोग मिलते होंगे।
5. दूसरों की इजाज़त के बिना उनका कमरा, टेबल ठीक करना ताकि उन्हें खुश कर सकें
अक्सर दूसरों को ख़ुश करने के लिए लोग उनका कमरा ठीक करने लगते हैं, मगर वो भूल जाते हैं कि उनके अरेंज करने के बाद सामने वाले शख्स को अपना रखा सामान भी नहीं मिलेगा।
6. ‘जानवरों को खिलाना मना है’ ये संदेश लिखे होने के बाद भी कुछ लोग उन्हें खिलाने लगते हैं
बोर्ड पर यदि कुछ नोटिस लिखा है तो किसी ने सोच समझकर ही लिखा होगा, मगर कुछ लोगों को इससे फर्क नहीं पड़ता, उन्हें तो लगता है कि बेचारे जानवर भूखे हैं इसलिए उन्हें खिलाकर वो उनकी मदद कर रहे हैं.
7. मना करने के बाद भी बार-बार किसी को घूरते रहना कि वो ठीक है या नहीं
‘आप ठीक तो हैं न’ सवाल के जवाब में सामने वाले शख्स ने कह दिया कि वो बिल्कुल ठीक है, बस उसे डिस्टर्ब न किया जाए, मगर कुछ लोगों को चैन नहीं पड़ता और बार-बार उस शख्स को देखते रहेंगे या किसी न किसी बहाने से डिस्टर्ब करते ही रहते हैं, वैसे उनका इरादा बस मदद करने का होता है, मगर उनकी इस मदद से सामने वाला इरीटेट हो जाता है।
8. दूसरों को अच्छा महसूस कराने के लिए सलाह देना
अगर किसी इंसान के परिवार में किसी की मौत हो गई है, तो उसे सांत्वना देने के लिए ये कहना कि देखो पड़ोसी की तो बिल्ली मर गई फिर भी उसने कितनी बहादुरी से हालात का सामना किया बिल्कुल गलत है। आपकी ऐसी सलाह से सामने वाले को अच्छा तो महसूस नहीं होगा, बल्कि उसे गुस्सा ज़रूर आ सकता है।
तो आप ग़लती से भी किसी की ऐसी मदद करने की भूल न करें।