हिन्दू धर्म में बड़ों के पैर स्पर्श करना आदर का प्रतीक माना जाता है। बच्चों को माता-पिता, रिश्तेदारों, शिक्षकों और अन्य बुजुर्गों के पैर छूने की शिक्षा देना परवरिश का एक अनिवार्य हिस्सा है।
हालांकि, देश में एक स्कूल ऐसा है जो इस धारणा के विपरीत है। मुंबई के घाटकोपर में स्थित ऋषिकुल गुरुकुल विद्यालय में शिक्षकों द्वारा छात्रों के पैर छूने की परंपरा है। बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है इसलिए यहां हर रोज शिक्षक अपने छात्रों के पैर छूते हैं। उनका मानना है कि बच्चों के पैर छूना भगवान के समक्ष झुकने के समान है। वास्तव में, हमारे देश में कई ऐसे त्यौहार हैं, जिनमें बच्चों को पूजा जाता है, जिनमें से एक नवरात्री है।
गुरुकुल ने इस परंपरा की शुरुआत इस तर्क के साथ की कि इससे छात्रों में शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना का विकास होगा। साथ ही गुरुकुल प्रबंधन छात्रों के लिए उदाहरण पेश करना चाहता हैं कि किसी उम्र की बंदिश के बिना हर किसी का सम्मान करना चाहिए। स्कूल का यह भी मानना है कि इस तरह के कदम से छात्रों और शिक्षकों के मध्य सामंजस्य अच्छा रहता है।
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सच में, ऋषिकुल गुरुकुल विद्यालय अपने में एक अद्भूत स्कूल है, जहां शिक्षक अपने छात्रों का आशीर्वाद लेते हुए, उन्हें मानव जीवन के श्रेष्ठ गुणों का पाठ भी पढ़ाते हैं।