हम सभी जीवन में कभी न कभी किसी चीज़ से डरते हैं। कोई बात या कोई घटना इतनी बुरी होती है जो हमारे मन में डर बैठा देती है और हम खुद को पीड़ित समझने लगते हैं। हालांकि, जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत ज़रूरी है हम अपनी पीड़ित मानसिकता (विक्टिम मेंटलिटी) को छोड़ दें। ऐसी मानसिकता वाला व्यक्ति जीवन में कभी खुश नहीं रहता और हमेशा दूसरों पर या परिस्थितियों पर आरोप लगाता रहता है।
क्या है पीड़ित मानसिकता?
दरअसल, यह एक मनोवैज्ञानिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति खुद को असहाय, पीड़ित और बेचारा समझता है। ऐसे वो दूसरों की अटेंशन पाने, ज़िम्मेदारियों व असुविधाओं से बचने के लिए करता है। इस मानसिकता वाले लोग अपने किसी पुराने दर्द या डर को भूलने की बजाय हमेशा उसे साथ लिए चलते हैं। उन्हें लगता है कि सामने वाला शख्स जानबूझकर उन्हें दर्द दे रहा है। इस वजह से हमेशा वो दूसरों पर उंगली उठाते रहते हैं। आरोप लगाते हैं।
यदि आप में नीचे दिए गए लक्षण दिखते हैं तो समझ जाइए कि आप भी पीड़ित मानसिकता के शिकार हैं।
1. आप हमेशा दुःखी रहते हैं और इसके लिए दूसरे लोगों या हालात को दोष देते रहते हैं।
2. आपका दर्शन ज़िंदगी हमेशा मेरे खिलाफ ही रहती है सरीखा होता है।
3. आप निराशावादी हैं।
4. आपको अपनी समस्याएं बड़ी मुसीबत लगती हैं और उसे बढ़ा-चढ़ाकर देखते हैं।
5. आपको लगता है कि दूसरे आपको जानबूझकर दुःखी कर रहे हैं।
6. आपको लगता है कि आप दुनिया के इकलौते इंसान है जिसके साथ कुछ गलत हुआ है।
7. हमेशा अपनी पुरानी दुःखद बातों को याद करके दुःखी होते रहते हैं।
8. जब सभी चीज़ें ठीक चल रही होती हैं, तब भी आप शिकायत के लिए कोई न कोई चीज़ ढूंढ़ ही लेते हैं।
9. अपनी समस्याओं के बारे में बात करते समय आप दूसरों के दृष्टिकोण को सिरे खारिज कर देते हैं।
10. आप अपनी समस्यों से लड़ने में खुद को असहाय महसूस करते हैं।
11. जब कोई आपकी आलोचना करता है, तो आपक बहुत बुरा महसूस होता है। भले ही आलोचना का मकसद आपमें सुधार लाना हो।
12. आपको लगता है कि आपकी ज़िंदगी में जो कुछ हो रहा है उसके लिए आप ज़िम्मेदार नहीं है, बल्कि दूसरे हैं।
13. आपको लगता है कि हर कोई आपसे अच्छी स्थिति में है।
14. आप अपने लिए सॉरी फील करते हैं।
15. आपको अपने जैसे ही लोग अच्छे लगते हैं, जो ज़िंदगी से शिकायत करें, आरोप लगाएं और पीड़ित मानसिकता के हों।
16. आपको लगता है कि दुनिया डरावनी है और अधिकांश जगहें खराब है।
17. आपको दूसरों के साथ अपनी दुःखद कहानी साझा करने में मज़ा आता है।
18. आप परिस्थितियों को बदलने में खुद को असहाय महसूस करते हैं।
19. आप दूसरों से सहानुभूति की उम्मीद करते हैं और जब ऐसा नहीं होता आप मायूस हो जाते हैं।
20. आप अपने अंदर झांकने की कोशिश नहीं करते और न ही अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने की।
21. आप अपने आपको हमेशा नीचे गिराते रहते हैं।
कोई जन्म से ही पीड़ित मानसिकता का नहीं होता। इसकी वजह उसकी ज़िंदगी में हुई कोई घटना और उससे लड़ पाने में उसकी अक्षमता होती है। धीरे-धीरे यह पर्सनैलिटी का हिस्सा बन जाती है।