पठानकोट हमले के दौरान बहादुरी के लिए नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (NSG) ने पहली बार अपने डॉग कमांडो ‘रॉकेट’ को वीरता पुरस्कार दिलाने की सिफारिश की है।
पठानकोट हमले में एक आतंकवादी को मार गिराने में NSG के इस जांबाज़ डॉग कमांडो ने अहम भूमिका निभाई थी।
पठानकोट एयरबेस की कई इमारतें बुरी तरह आग की लपटों से घिरी हुई थी, जिसमें सुरक्षाबलों के लिए अंदर जाना मुमकिन नहीं था। ऐसे में ढाई साल के रॉकेट ने अपनी ड्यूटी निभाकर वहां तैनात सुरक्षाबलों की बहुत बड़ी मदद की।
रॉकेट आग की लपटों के बीच इमारत के अंदर घुसा। थोड़ी देर बाद वह अपने मुंह में एक थैली लिए इमारत से बाहर लौटा। आग के बीच दौड़ते हुए उसने इमारत में आतंकियों की मौजूदगी का पता लगाया था।
इस ऑपरेशन को अंजाम देते हुए रॉकेट बुरी तरह से घायल हो गया। उसका पंजा और सिर आग में जल गया था। कई हफ्तों तक उसका इलाज चला और अब वह एकदम स्वस्थ है। महीनों तक चले इलाज के बाद रॉकेट वापस ड्यूटी पर लौट आया है।
NSG के इंस्पेक्टर जनरल दुष्यंत सिंह ने रॉकेट के सराहनीय योगदान के बारे में बताया:
“रॉकेट तेज आग में कूद गया और उसकी बहादुरी के कारण हमें पता चला कि उस इमारत के अंदर सच में एक आतंकी है। रॉकेट की बहादुरी तारीफ के काबिल है। उसने भी पठानकोट ऑपरेशन में योगदान दिया है।”
NSG के पास एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशन के लिए 20 डॉग्स का स्क्वॉड है। वहीं, कैनाइन स्क्वॉड (के-9) में 6 डॉग हैं।
इस डॉग के साथ ही पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले आतंकवादियों से अपनी अंतिम सांस तक लड़ने में शहीद हुए कर्नल निरंजन के अलावा दो अन्य जांबाज़ों के नाम वीरता पदक के लिए भेजे गए है।