सभी धर्मों में अंतिम संस्कार के रीति-रिवाज अलग-अलग हैं। हिन्दू धर्म में जहां मृत शरीर को जलाने का रिवाज है, वहीं मुस्लिम धर्म में मृतकों को दफनाने की परंपरा है। पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार की एक अलग परंपरा रहा है। इस समुदाय के लोग अपने मृतकों को न तो जलाते हैं और न ही दफनाते हैं। बल्कि अंतिम संस्कार के लिए मतृ शरीर को एक विशाल टावर पर ले जाकर छोड़ देते हैं, जहां गिद्ध लाश को खा लेते हैं। बाकी बचा हुआ शरीर सूरज की उष्मा से खत्म हो जाता है। पारसी धर्म में धरती और आग को बेहद पवित्र माना जाता है और यही वजह है वे मृत शरीर से इसे अपवित्र नहीं करना चाहते।
अब हालांकि, गिद्धों की कमी की वजह से पारसी अपनी परंपरा बदल रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत के पारसी अब अपने समुदाय के मृतकों को दफनाने पर विचार कर रहे हैं।
यहां के नवसारी में पारसियों की सबसे अधिक है। और इस संबंध में करीब 6 महीने से पहले से ही बैठकों का दौर जारी थी। इसमें समुदाय के लोगों को दो ऑप्शन दिए गए। मृत शरीर को दफ़नाया जाए या अंतिम संस्कार का पारंपरिक तरीका ही अपनाया जाए। बैठक में तय किया गया कि अंतिम संस्कार का पारंपरिक तरीका भी चलता रहेगा, साथ ही मृत शरीर को दफनाने के लिए भी जगह बनाई जाएगी।