आज हम आपको एक ऐसे अद्भूत शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी पूजा न सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिम भी करते हैं। महादेवी झारखंडी शिव मंदिर में स्थापित यह शिवलिंग के लिए मुसलमानों में भी आस्था। यहां भगवान शिव सालों से मुसलमानों के लिए भी आराध्य देव हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरया तिवारी नाम का एक गांव है, जहां के श्री श्री महादेव झारखंडी शिव मंदिर में यह अनोखा शिवलिंग स्थापित है।
मान्यता है कि यह शिवलिंग 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। लोगों का मानना है कि शिव के इस दरबार में जो भी भक्त आकर श्रद्धा से मनोकामना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
यह शिवलिंग हिंदुओं में ही नहीं, मुसलमानों में उतना ही पूजनीय है, क्योंकि इस पर कलमा (इस्लाम का एक पवित्र वाक्य) खुदा हुआ है।
कहा जाता है कि भारत पर 17 बार आक्रमण करने वाला महमूद गजनवी जब पूरे देश के मंदिरों को लूटता हुआ यहां पहुंचा तो उसने और उसकी सेना ने इस शिवलिंग के बारे में सुनकर इस मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया था।
मंदिर को ध्वस्त करने के बाद गजनवी की सेना ने शिवलिंग को भी उखाड़ने का प्रयास किया, लेकिन यह शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ।
शिवलिंग को नष्ट करने के लिए कई वार भी किए, लेकिन उस पर एक खरोच भी नहीं आई। वे जितनी गहरी खुदाई करते शिवलिंग उतना बढ़ता जाता।
जब आखिर में वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया तो उसने शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया, ताकि कोई हिंदू इसकी पूजा न कर सके।
गजनवी ने सोचा कि शिवलिंग पर कलमा लिखवाने से हिंदू इसकी पूजा नहीं करेंगे, लेकिन हिन्दुओं के साथ-साथ मुसलमान भी यहां इबादत करते हैं।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नहीं लग पाई है। यह शिवलिंग आज भी खुले आसमान के नीचे है।
मान्यता है कि इस मंदिर के बगल में बने हुए तालाब का जल भी अद्भुत है। इस जल में स्नान करने पर एक राजा का कुष्ठ रोग दूर हो गया था। तभी से लोग यहां आकर अपने चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिए 5 मंगलवार या 5 रविवार स्नान करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनका रोग ठीक हो जाता है।