भारतीय अब समृद्ध हो रहे है, उपभोक्तावाद बढ़ रहा है, विदेशी निवेश के नए दरवाजे खुलने लगे हैं। भारत को आज गर्व के साथ युवा शक्ति के तौर पर पेश किया जा रहा है, लेकिन इस सच्चाई के पीछे छिपा एक स्याह सच ये भी है कि देश में हो रहे शहरीकरण, औद्योगीकरण और बदलती जीवनशैली के बीच एक बहुत बड़ा वर्ग आज ड्रग्स के चंगुल में बुरी तरह फंस चुका है। नशे की आसान पहुंच लोगों को उनके अपनों से दूर लेती जा रही है। विश्वभर में नशा तस्करी के मामले दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
भारत में नशाखोरी समाज को किस तरह खोखला कर चुका है, इसका सबसे सटीक उदाहरण पंजाब है। महिला और बाल सामाजिक सुरक्षा विभाग के हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि इस राज्य के 67 प्रतिशत घरों में कम से कम एक व्यक्ति मादक पदार्थों का सेवन करता है।
भारत सहित आज दुनियाभर में ड्रग्स एक पूरी पीढ़ी को अपनी चपेट में ले चुका है। हाल ही में अमेरिका से अोपिओइड ड्रग्स का एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक महिला ने ड्रग्स की ओवरडोज के कारण अपनी बच्ची को खोने का दर्द बयां किया। पेशे से पत्रकार इस महिला ने खुद टेलीविजन स्क्रीन पर अपनी बच्ची की मौत की खबर पढ़ी। साथ ही उसने ये सुझाव भी दिया कि एक व्यवहारिक बदलाव के लिए इस बीमारी का सस्ता और बेहतर इलाज खोजने की जरूरत है।
महिला ने इस दुखद वाकये को बयां करते हुए बताया कि इस घटना ने उसकी पूरी जिंदगी तबाह कर दी।
”मेरे और मेरे परिवार के इस नुकसान की कोई भरपाई नहीं हो सकती। मेरी बेटी एमिली टैलेंटेड, स्मार्ट और सुंदर थी, लेकिन मैं ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए मज़बूर हूं। बहरहाल मैंने निर्णय लिया कि मैं अपनी कहानी आप सब के साथ साझा करूं, तब जबकि इसमें निजी तौर पर मुझे बहुत ज़्यादा खतरा था। मैं ऐसा कर रही हूं, क्योंकि मेरी एकमात्र उम्मीद है एमिली की ये कहानी, मेरे परिवार का निजी दुःख, बदलाव का एक कारण बन सकती है।”
बता दें कि अोपिओइड एक ऐसा ड्रग है जो शरीर पर अफीम सरीखा असर डालता है।
नीचे देखिए महिला का वीडियो।