रामायण और महाभारत दो ऐसे भारतीय महाकाव्य हैं, जिसकी वर्णित कथाओं में जीवनदर्शन समझ कर कितने ही विदेशी हस्तियाँ प्रेरणा प्राप्त कर चुकी हैं।
उन्ही में से एक है इटैलियन चित्रकार गियामपोलो तोमासेत्ती, जो इटली में वृन्दावन विला स्थित वैदिक हार्ट अकादमी के सदस्य हैं। तोमासेत्ती महाभारत की कथा से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने 5 सालों तक महाभारत का अध्ययन किया, इस महाकाव्य के जीवनदर्शन को समझ कर उन्होने 12 वर्ष तक अथक परिश्रम किया और सम्पूर्ण महाकाव्य को सुंदर चित्रों में उतार कर रख दिया।
आप भी देखिए ‘महाभारत’ के कभी न भूलने वाले चुनिंदा दृश्यों को जिन्हे तोमासेत्ती ने पेंटिंग्स के मध्यम से जीवित कर दिया है।
यह दृश्य उस समय का है, जब महाराजा पाण्डु वन में विश्राम कर रहे थे और एकाएक उनकी नज़र माता कुंती पर पड़ गई थी।
‘महाभारत’ के इस दृश्य में माता कुंती अपने पुत्रों यानी पांडवों के साथ मायावी महल ‘इंद्रप्रस्थ’ में प्रवेश करते हुए नज़र आ रही हैं।
तोमासेत्ती इतने निपुण चित्रकार हैं कि उनके चित्र एकदम सजीव लगते हैं। इस चित्र में अर्जुन से विवाह के बाद जब द्रौपदी, पांडवों सहित घर पहुंचीं तो माता कुंती के वचन के चलते द्रौपदी को पांच पांडवों की पत्नी बनना पड़ा।
श्रीकृष्ण के साथ वार्तालाप में व्यस्त पांडु पुत्र
श्रीकृष्ण को मायावी महल ‘इंद्रप्रस्थ’ के बारे में बताते पांडव। यह दृश्य तो कुछ ऐसा ही दर्शा रहा है।
चौसर खेलते कौरव और पांडव
सुभद्रा को लेकर महल से निकल रहे अर्जुन
इस चित्र में भीम के घमंड को चूर करते हनुमानजी
इसी तरह के अनेक चित्र तोमासेत्ती ने 12 वर्षों के अथक परिश्रम से तैयार किये हैं. और उस परिश्रम का सुखद परिणाम ये है कि महाभारत की कथा इन चित्रों के माध्यम से एकदम सजीव हो उठी है.