भारत ने स्वदेश निर्मित स्पेस शटल का सफल प्रक्षेपण कर लिया है। करीब सुबह सात बजकर पांच मिनट पर खास प्रक्षेपण यान (आरएलवी) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।
इस परीक्षण के साथ ही भारत की गिनती उन देशों में होगी, जिन्हें स्पेस शटल की लॉन्चिंग में महारत हासिल है।
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स्पेस शटल को रियूजेबल लॉन्च व्हीकल-टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (RLV-TD) से लॉन्च किया गया। यह व्हीकल स्पेस शटल को ऑर्बिट में छोड़कर, एक एयरक्राफ्ट की तरह वापस आने लायक बनाया गया है। जिसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। 6.5 मीटर लंबे ‘विमान’ जैसे दिखने वाले इस यान का वजन 1.75 टन है।
अभी ऐसे रियूजेबल स्पेस शटल बनाने वालों के क्लब में अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान ही हैं। इसे दोबारा प्रयोग में लाए जा सकने वाले रॉकेट के विकास की दिशा में एक प्रारंभिक कदम बताया जा रहा है।
RLV-TD अमेरिकन स्पेस शटल की तरह ही है। RLV-TD के जिस मॉडल का परीक्षण किया गया है, वह इसके अंतिम रूप से 6 गुना छोटा है। इस स्पेस शटल के फाइनल वर्जन बनाने में 10 से 15 साल का समय लगेगा।
शटल को स्पेस में 70 किमी ऊपर ले जाया जाएगा। शटल को कक्षा में स्थापित करने के बाद लॉन्च व्हीकल 180 डिग्री मुड़कर बंगाल की खाड़ी में लैंड करेगा। इसके लिए रनवे को समुद्र तट से करीब 500 किमी दूर बनाया गया है।
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इस वाहन में करीब 95 करोड़ रुपए की लागत लगी है। इसे तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में 600 वैज्ञानिकों की एक टीम ने पांच सालों में तैयार किया।