कश्मीर में तनाव की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले घाटी के कई स्कूलों को निशाना बनाया गया। पिछले 4 महीनों में करीबन 32 स्कूलों को आग के हवाले कर दिया गया। घाटी में फैली इस अशांति के कारण सभी निजी और सरकारी स्कूल भी बंद हैं, जिससे यहां के बच्चों का भविष्य खतरे में है।
इन बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो, इस दिशा में भारतीय सेना ने जो कदम उठाया है, उसे जानकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। घाटी में एक बार से फिर से शान्ति बहाल करने, आतंकी गतिविधियों को मुंहतोड़ जवाब देने के साथ-साथ अब सेना के जवानों ने घाटी के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया है।
भारतीय सेना ने सराहनीय कदम उठाते हुए ‘स्कूल चलो’ अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत जवान, घाटी के स्कूली बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। साथ ही कई अन्य कलात्मक गतिविधियों में बच्चों को शामिल करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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छयम न जरूरत दौलत-ओ-रुआब, फकत गौच्छुम स्कूल ते किताब”। इन कश्मीरी शब्दों का मतलब है- “न मुझे दौलत चाहिए, न शोहरत, मुझे सिर्फ मेरा स्कूल और किताब चाहिए।” इस नारे के साथ भारतीय सेना के जवान अपने इस मिशन पर आगे बढ़ रहे हैं।
जवानों का कहना है कि घाटी के बच्चों के भविष्य के साथ कोई अन्याय नहीं होगा और यह अभियान जारी रहेगा।
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विक्टर फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अशोक नरूला ने बताया कि पहलगाम में सेना द्वारा चलाये गए इस अभियान में अभी 292 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।