आलिया भट्ट की फिल्म राज़ी ने बॉक्स ऑफिस पर जमकर कमाई की और अपनी शानदार एक्टिंग से आलिया सारी तारीफें लूट ले गईं। फिल्म में आलिया भट्ट ने सहमत नाम की सीक्रेट एजेंट यानी खुफिया जासूस कि भूमिका निभाई थी। इस फिल्म के ज़रिए लोगों को सहमत के बारे में तो बहुत कुछ पता चल गया, लेकिन असल में सहमत की तरह ही और भी खुफिया जासूस रहे हैं जो हमेशा अपनी जान जोखिम में डालकर देश की रक्षा का फर्ज निभाते रहे हैं। ऐसे ही कुछ जासूसों के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
1. रविंद्र कौशिक
रविंद्र रॉ के खुफिया जासूस थे और उन्हें द ब्लैक टाइगर नाम से भी जाना जाता था। सिर्फ 23 साल की उम्र में ही वह रॉ के साथ जुड़ गए थे। रविंद्र पाकिस्तानी सेना में मेजर जनरल बन थे। रविंद्र को पाकिस्तान भेजने से पहले उर्दू सिखाई गई, साथ ही मुस्लिम धर्म से जुड़ी कुछ किताबें भी पढ़ाई गईं और फिर नबी अहमद शाकीर नाम से वे पाकिस्तानी सेना में दाखिल हो गए। 1979 से लेकर 1983 तक उन्होंने पाकिस्तान में रहकर भारत को बहुत अहम जानकारी मुहैया कराई। इसी वजह से उन्हें द ब्लैक टाइगर नाम दिया गया। अफसोस की आखिरकार रविंद्र का पर्दाफाश हो गया और पाकिस्तान में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 2001 में न्यू सेंट्रल मुल्तान जेल में उनकी मौत हो गई।
2. नेहचल संधु
नेहचल खुफिया ब्यूरो के पूर्व मुखिया रह चुके हैं। उन्होंने सिख अलगावादी आंदोलन के दौरान अजीत डोवाल के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें श्रीनगर में खुफिया ब्यूरो को अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। वह लश्कर-ए- तैएबा के 65 कमांडरों को बेअसर करने में कामयाब रहे थे। उनकी तकनीक की समझ भी बहुत ज़्यादा थी।
3. सैय्यद आसिफ इब्राहिम
सैयय्द आसिफ खुफिया ब्यूरो में काम करने वाले पहले मुस्लिम थे। 2013 में यासीन भटकल की गिरफ्तारी के लिए बनाए गए प्लान का वह भी हिस्सा थे। रिटायरमेंट के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उन्हें काउंटर आतंकवाद और अतिवाद मामले में प्रधानमंत्री का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है।
4. एके वर्मा
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद एके वर्मा को चीन भेजा गया, ताकि दोनों देशों के संबंधों में सुधार हो सके। उनके प्रयासों की बदौलत ही भारत और चीन ने आखिरकार दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। शायद वह पहले ऐसे भारतीय रॉ के मुखिया थे, जिसने आईएसआई चीफ के साथ आमने-सामने बात की है। खालिस्तानी आतंवादियों से निपटने के लिए उन्होंने काउंटर इंटेलिजेंस टीम-एक्स बनाई थी।
5. आरएन राव
रामेश्वर नाथ राव यानी आरएन राव भारत के पहले जासूस थे और उन्होंने ही खुफिया एजेंसी रॉ की शुरुआत की थी। आज़ादी के तुरंत बाद वो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को रिपोर्ट करते थे। पाकिस्तान से बांग्लादेश को आज़ाद कराने में भी उनका अहम रोल था। रिटायरमेंट के बाद वह राजीव गांधी के प्रमुख सलाहकारों की सूची में शामिल हो गए थे। उसी दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सिक्योरिटी गार्ड की शुरुआत की
6. अजीत डोवाल
अजीत डोवाल ही वह शख्स हैं जिन्होंने 1971 से लेकर 1999 तक भारतीय विमान को अपहरण होने से 15 बार बचाया था। 1999 में कंधार विमान अपहरण के दौरान भी आतंकियो से समझौता करने वालों में अजीत ने मुख्य भूमिका निभाई थी। वह पाकिस्तान लाहौर में 7 साल जासूस बनकर रहे, उनकी कई उपलब्धियां हैं। एक बार उन्होंने पाकिस्तानी का स्वांग रचाकर रोमानियन राजनयिक लिविउ राडू को कश्मीरी आतंकियों से बचाया था।
7. सरस्वती राजामनी
16 साल की उम्र में ही सरस्वती ने देश की सेवा का प्रण ले लिया था। वह सुभाष चंद्र बोस से बहुत प्रेरित थीं। सरस्वती ने पुरुष का वेश धारण करके ब्रिटिश हुकूमत को बेवकूफ बनाकर महत्वपूर्ण जानकारी आईएनए को मुहैया कराई थी। वह बहुत अमीर परिवार से थीं, लेकिन उन्होंने अपने सारे गहने आईएनए को दान कर दिए।