एक बार हमारे दिमाग में जिस इंसान की महान छवि बन जाती है, उसे तोड़ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है और उसके बारे में हम कुछ बुरा नहीं सुन पाते, भले ही वो बुरी बात सच ही क्यों न हो। कुछ ऐसा ही हाल है इतिहास के इन महान शख्सियतों का, जिनके बुरे काम के बावजूद दुनिया इन्हें महान ही मानती है।
1. थॉमस अल्वा एडिसन
अलटर्नेटिव करेंट यानी एसी (AC) इलेक्ट्रिक स्पलाई का स्टैंडर्ड सिस्टम माना जाता है, लेकिन शायद ही लोग जानते हैं कि इसे दुनिया के सामने लाने वाले महान वैज्ञानिक निकोला टेल्सा को थॉमस एडिसन ने रोकने की बहुत कोशिश की थी। एडिसन जिन्हें आप बल्व और मोशन पिक्चर के अविष्कार के लिए जानते हैं, उन्होंने अपने डायरेक्ट करेंट सिस्टम के बाज़ार को ऊपर ले जाने के लिए टेल्सा के बेहतरीन एसी सिस्टम के खिलाफ साजिशे रचीं। एडिसन ने एसी को खतरनाक साबित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। सावधानी न बरतने पर एसी कितना खतरनाक हो सकता है ये बताने के लिए उन्होंने एक मौके पर जानवरों को एसी सिस्टम से मार डाला। टेल्सा एडिशन के अधीन ही काम करते थे और उन्होंने एडिशन को सुझाव दिया कि इलेक्ट्रीसिटी का भविष्य एसी है, लेकिन एडिसन ने उनकी एक नहीं सुनी। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि एडिशन ने अपने अधीन काम करने वाले लोगों के अविष्कारों का पेटेंट भी अपने नाम करवा लिया, तभी तो उनके नाम 2,332 पेटेंट हैं।
2. स्टीव जॉब्स
स्टीव जॉब्स का नाम सुनते ही आपके दिमाग़ में एक बहुत बुद्धिमान और महान इंसान की छवि उभरती होगी, लेकिन कहा जाता है कि जॉब्स बहुत खराब बॉस थे। वह अपने कर्मचारियों को बहुत बेइज्ज़त किया करते थे। वो कर्मचारियों से न सिर्फ ओवरटाइम करवाते थे, बल्कि उन्हें सैलरी भी कम देते थे। उनके साथ सख्ती से पेश आते थे। स्टीव को शायद लगता था कि सफल होने के लिए कर्मचारियों के ऊपर गुस्सा होना और उनके साथ गाली-गलौज करना ज़रूरी है। बॉस के रूप में उनकी रेप्युटेशन इतनी खराब थी कि फॉर्च्यून मैगज़ीन ने उन्हें ‘सिलकॉन वैली का लीडिंग इगोमैनिएक्स’ कहा था। स्टीव की अमानवीयता का एक और उदाहरण है कंपनी का एक कॉन्ट्रैक्ट। जब 2010 में एप्पल फॉक्सकॉन के चाइना प्लांट में 14 कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली, उस घटना के बाद फॉक्सकॉन ने दूसरे कर्मचारियों से एक अग्रीमेंट साइन करवाया जिसपर लिखा था काम के दौरान सुसाइड करने, चोट लगने, आकस्मिक मौत होने पर कर्मचारी के संबंधी कंपनी पर किसी तरह का दावा नहीं कर सकते।
3. जॉन लेनन
जॉन लेनन को दुनिया महान गायक के रूप में जानती है, जिन्होंने मशहूर बैंड द बीटल्स बनाया था। अपने गानों में शांति, प्यार और समानता की बात करने वाला लेनन असल ज़िंदगी में इसके बिल्कुल विपरित थे। वे अपनी दोनों पत्नयों सिंथिया और योको ओन से मारपीट करते थे। बाद में उन्होंने खुद ये बात स्वाकारी कि वह अपनी बीवियों को पीटते रहे थे। लेनन अपने बड़े बेटे जुलियन को टॉर्चर किया करते थे। जुलियन जब छोटा था तब अधिकांश समय लेनन उससे दूर ही रहे। हालांकि, बाद में वह जुलियन के साथ रहने लगे तो उसे हर पल एहसास दिलाते रहते थे कि उससे कितनी नफरत करते हैं।
4. विंस्टन चर्चिल
विंस्टन चर्चिल को द्वितिय विश्व युद्ध के विजेता के तौर पर याद किया जाता है, लेकिन चर्चिल के नाम एक और कारनाम दर्ज है वो है हज़ारों लोगों की मौत का। 1943 में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा। इससे पहले दुनिया ने ऐसी भयावहता नहीं देखी थी। इस अकाल के असर से जब भारत में लोग भूखे पर रहे थे, तब चर्चिल ने खाने का स्टॉक जो भारत आ रहा था, उसे यूरोप में ब्रिटिश सैनिकों के लिए भेज दिया, जिनके पास पहले से ही पर्याप्त भोजना था। इसकी वजह से सैकड़ों-हज़ारों लोग भूख से तड़पकर मर गए। इतना ही नहीं, चर्चिल ने अमेरिका और कनाडा से दिए जाने वाले मुफ्त भोजन की सप्लाई को भी रोक दिया। यह उनकी अमानवीयता और भारतीयों से नफरत का एक और सबूत था। जब भारत की ओर से चर्चिल को टेलीग्राम भेजकर हालात की जानकारी दी गई तो उनका जवाबा था, ‘क्या गांधी अभी तक मरा नहीं।’
5. क्रिस्टोफर कोलंबस
अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस को दुनिया बहुत सम्मान देती है। उनके सम्मान में अमेरिका में कोलंबस डे मनाया जाता है। हालांकि, शायद ही कोई जानता है कि कोलंबस सैकड़ों लोगों की मौत का कारण है और इसी वजह से अमेरिका की आबादी इतनी कम हो गई।
कोलंबस 1492 में जब भारत के लिए रास्ते की खोज कर रहा था, तब उसने सैन साल्वाडोर के किनारे कदम रखा था और वहां के स्थानीय लोगों को गुलाम बना लिया। इतना ही नहीं, उसने और उसके आदमियों ने बस मस्ती और आनंद के लिए सैंकड़ों रेड इंडियंस को मौत के घाट उतार दिया। उसने लोगों पर टैक्स भी लगाएं और जो टैक्स नहीं भर पाता था उसके हाथ काट दिए जाते थे। महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाया गया। उनसे बर्बरता की गई।
इस महाद्वीप की खोज के दिन से ही उसने वहां अत्याचार की अति कर दी। उसकी बर्बरता के कारण ही तीन सालों में ही रेड इंडियन्स की आबादी 80 लाख से महज 30 लाख पर सिमट गई।