तू ना रोना, के तू है भगत सिंह की मां
मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं…
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम
तेरी राहों में जां तक लुटा जाएंगे…
वतन पर मर मिटने वाले कभी मरते नहीं, वो अमर हो जाते हैं। उरी पर सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले में देश ने अपने 18 वीर सपूत जवान खो दिए, जिनमें से एक थे 6 बिहार रेजीमेंट के हरिंदर यादव।
अपने लाल को खोने का दर्द उस मां से पूछिए, जिसका बेटे की शहादत की खबर सुनने के बाद रो-रो कर बुरा हाल है।
26 वर्षीय हरिंदर का पार्थिव शरीर जब गाजीपुर जिले के देव पुरवा गांव पहुंचा, तो पूरा गांव ग़मगीन हो गया। सैकड़ों की संख्या में लोग अपने इस जवान की शहादत को सलामी देने पहुंचे।
अंतिम यात्रा में समाजवादी पार्टी से गाजीपुर के विधायक विजय कुमार मिश्रा, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित थे।
जिस पिता ने सोचा था कि उनके बुढ़ापे में बेटा हरिंदर उनकी लाठी बनेगा, वही इस दुनिया से चला गया। तिरंगे में अपने बेटे के लिपटे हुए पार्थिव शरीर को देखकर बुजुर्ग पिता केदार यादव की आंखें छलक आईं। अपने बेटे की शहादत पर नाज इस पिता ने ‘भारत माता की जय’ का जयघोष किया।
Ghazipur (Uttar Pradesh): Family members of Sepoy Harinder Yadav who lost his life in #UriAttack, yesterday pic.twitter.com/eUwV6KXq7H
— ANI UP (@ANINewsUP) September 19, 2016
2007 में सेना में शामिल हुए हरिंदर की मौत परिवार के लिए दर्दनाक है। हरिंदर अपने परिवार में एकलौते ऐसे थे, जिनकी सरकारी नौकरी लग पाई थी। हरिंदर के चारों बड़े भाई राजस्थान समेत कई दूसरी जगहों पर मजदूरी करते हैं।
हरिंदर अपने पीछे अपनी पत्नी, चार और दो साल के बेटे रोहित और राज, पांच भाई और बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ वीरगति को प्राप्त हो गए।
हरिंदर के बड़े भाई नागेन्द्र बताते है कि परिवार की उरी हमले से एक दिन पहले हरिंदर से फ़ोन पर बात हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ दिनों के लिए कैंप ऊपर पहाड़ों पर लगाया जाएगा। वहां नेटवर्क की दिक्कत रहेगी, इसकी वजह से कुछ रोज बात नहीं हो पाएगी, लेकिन नागेन्द्र को नहीं पता था ये उनसे हरिंदर की आखिरी बात होगी। अगले दिन ही भाई के शहीद होने की खबर आई, जिसने पूरे परिवार को तोड़ दिया।
हरिंदर आखिर में इस साल के जून में अपने घर आए थे, वही आखिरी याद अब परिवार के साथ है। वहीं, गांव वाले हरिंदर की वीर गाथाओं का जिक्र करते हुए बताते है कि छुट्टियों पर आए हरिंदर ने एक बार जलते हुए घर से दो बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालते हुए बचाया था।
हरिंदर की अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए।
शहीद का परिवार सरकार से जवानों की मौत का बदला लेने की मांग कर रहा है।
साभार: SUNO