बजरंग बली हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है, तभी तो पूजा के दौरान महिलाओं को उन्हें छूने की भी अनुमति नहीं है। हनुमान जी का कभी किसी महिला से संबंध नहीं रहा और न ही उनकी शादी हुई, क्योंकि पौराणिक कथाओं में इसका कहीं कोई ज़िक्र नहीं है। हालांकि, हैरानी वाली बात ये है कि उनका एक पुत्र था।
तो आखिर ये चमत्कार कैसे हुआ?
कथाओं के अनुसार मकरध्वज नामक हनुमान जी का एक पुत्र था। कहा जाता है कि मकरध्वज अपने पिता की तरह ही ताकतवर और कर्तव्यनिष्ठ था। कई जगहों पर मकरध्वज को पूजा भी जाता है। हैरानी की बात ये है कि जब हमुमान जी ब्रह्मचारी थे तो उनका पुत्र कैसे हो सकता है और अगर मकरध्वज बजरंगबली का बेटा था तो उनकी मां कौन थी?
उनके पुत्र के जन्म की कहानी बहुत अनोखी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी ने सीता मां को बचाने के लिए अपनी पूंछ से पूरी लंका में आग लगा दी थी, तब लंका से लौटते समय हनुमान अपनी पूछ की आग बुझाने नदी में उतरे। उस वक़्त गर्मी और आग की वजह से उन्हें बहुत पसीना आ रहा था और उनके इसी पसीने की कुछ बूंदें एक मछली के मुंह में चली गई, जिससे हनुमान जी के पुत्र का जन्म हुआ। कहा जाता है कि उस समय पाताललोक में अहिरावण का राज था। जब उसके राज्य के कुछ लोगों ने मछली को काटा तो उसके पेट से एक जीव निकला, जिसे अहिरावण ने पाला और मकरध्वज नाम दिया। वह बहुत ही ताकतवर था। बड़ा होने पर अहिरावण ने उसे पाताल के मुख्य द्वार पर खड़े होकर उसे पाताललोक की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी।
रामायण के अनुसार एक बार अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था। जब हनुमान उन्हें छुड़ाने पाताल लोक पहुंचे, वहां उन्होंने उनकी मुलाकात एक ऐसे प्राणी से हुई जिसका आधा शरीर वानर और आधा मछली का था और वह खुद को हनुमान का बेटा कह रहा था। हनुमान जी तो पहले तो उसकी बातों पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन बात में उन्हें अपने बेटे की बातों पर यकीन हो गया।
भारत में कई जगहों पर हनुमान के साथ ही मकरध्वज की भी पूजा की जाती है। गुजरात में द्वारका से 2 किलोमीटर दूर हनुमान जी का एक मंदिर है, जहां हनुमान जी के साथ मकरध्वज को भी पूजा जाता है। इसके अलावा अजमेर के पास स्थित ब्यावर नगर में मकरध्वज बालाजी धाम हैं जहां पिता-पुत्र की साथ पूजा होती है। ग्वालियर के रानी घाटी जंगल में बने एक मंदिर में भी मकरध्वज की प्रतिमा स्थापित है। हमुमान जी के इस पुत्र के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। हमुमान जी का बेटा भले ही था, मगर चूकि उनके किसी महिला से संबंध नहीं थे इसलिए वो ब्रह्मचारी ही कहलाते हैं।