भारत में जहां गियर वाले 2-व्हीलर या 4-व्हीलर वाहनों को चलाने की कानूनी तौर पर उम्र 18 साल है, वहीं कुछ लोग इस कानून की धज्जियां उड़ाते हुए आपको अक्सर दिख जाएंगे। इनमें से अधिकतर स्कूल जाने वाले बच्चे होते हैं, जो न केवल ऐसे वाहनों को चलाते है, बल्कि इन पर खतरनाक स्टंट्स करते हैं।
बिना गियर 2-व्हीलर वाहनों को चलाने की न्यूनतम उम्र 16 साल है। लेकिन असल में उनमें से कितने इस कानून का पालन करते है?
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आए दिन हम सड़क हादसों में लोगों की मौत की खबरें सुनते हैं। ऐसे ही सड़क हादसे में एक पिता ने अपने 18 साल के बेटे को खो दिया। उनके बेटे ने हेलमेट नहीं पहना हुआ था।
जवान बेटे को खोने का दर्द, आज भी उनके दिल में है। लेकिन आगे कोई और बाप अपने बेटे, अपने किसी परिजन को न खोए, इस दिशा में उन्होंने अपनी तरफ से एक पहल की है। उन्होंने लोगों को हेलमेट पहनने के लिए जागरूक करने की एक शुरुआत की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में अकेले 2013 में ही 1,37,572 लोगों की जान गई। जिनमें से 34 प्रतिशत जान गंवाने वाले 2-व्हीलर या 3-व्हीलर चालक है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की जारी दुर्घटना में होने वाली मौतों पर रिपोर्ट- 2014 के अनुसार सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल में दर्ज की गई। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों में बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश का रहा, जहां सड़क हादसों में 16284 लोगों ने अपनी जान गवांई। इस क्रम में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र और तमिलनाडु आते हैं।
कानूनों को सही से अमल में लाने की समस्या के बीच, WHO की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में कोई आपातकालीन कक्ष क्षति निगरानी प्रणाली नहीं है, जो ऐसे मामलों को जल्द से जल्द देख सके। और तो और न ही ऐसा कोई ठोस कानून है, जो हेलमेट की आवश्यकता पर ज़ोर डाले।
एक जागरूक नागरिक होने के नाते हमारा यह फर्ज बनता है कि हम सड़क से जुड़े नियमों का पालन करें। जिस तरह से यह पिता अपनी तरफ से एक शुरुआत कर रहा है, उसी तरह से हमें भी इस तरफ एक कदम बढ़ाना होगा। पहल अपने आप से करने होगी, अपनों से करनी होगी।
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