भारत कई प्राचीन विरासत और बेहतरीन वास्तुकला की धरती रहा है। भव्य ताजमहल से लेकर कुंभलगढ़ किले की दीवार, यहां कई अनगिनत राष्ट्र धरोहर हैं। इसी कड़ी में भारत के आर्किटेक्चर क्षेत्र में नवी मुंबई स्थित डी.वाई. पाटिल स्टेडियम का नाम भी आता है।
डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स स्टेडियम में क्रिकेट और फुटबॉल दोनों तरह के ही खेल खेले जाते हैं। आर्किटेक्ट हफीज़ कांट्रेक्टर द्वारा डिज़ाइन किए गए इस स्टेडिम का उद्घाटन 2008 में हुआ था और इसमें 55 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है। इसके उद्घाटन के बाद से आईपीएल के कई मैच यहां खेले गए हैं और यह मुंबई इंडियंस का होम ग्राउंड भी है।
इस स्टेडियम में कई विश्व-स्तरीय सुविधाएं हैं- जैसे बकेट सीट्स, पार्किंग, और दर्शकों को देखने में बाधा न हो, इसके लिए पिलर नहीं लगाए गए हैं। इस स्टेडियम को बनाने में प्रतियोगिताएं को देखने के लिए आने वाले दर्शकों की सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इसमें दो प्रैक्टिस ग्राउंड्स भी हैं।
स्टेडियम की खास बात यह है कि इसकी छत को खास तरह के फैब्रिक से बनाया गया है। स्टेडियम के ऊपर कपड़े की छत बनाई गई है। स्टेडियम की छत बनाने में इस्तेमाल फैब्रिक को जर्मनी से आयात किया गया था। यह देश की पहली कपड़े से बनी सबसे बड़ी रूफ बिल्डिंग है।
आपको बता दें कि इस साल की शुरुआत में जस्टिन बीबर के कॉन्सर्ट से ठीक पहले छत का पुनर्निर्माण किया गया था। अगस्त 2017 में डी.वाई. पाटिल खेल अकादमी के अध्यक्ष विजय पाटिल ने कहा थाः
“हमने स्टेडियम की 70 फीसदी से अधिक बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 500 KW सोलर प्लांट लगवाया है।”
इस स्टेडियम में लोगों के बैठने की क्षमता इसे राष्ट्र का नौवां सबसे बड़ा स्टेडियम बनाती है। स्टेडियम में 9 टेनिस हार्ड कोर्ट, 4 इनडोर बैडमिंटन कोर्ट और ओलंपिक साइज्ड स्विमिंग पूल भी हैं।
आर्किटेक्ट हफीज़ ने इससे पहले देश की कई और इमारतों को डिज़ाइन किया है। मसलन 2010 में बनकर तैयार हुआ मुंबई का इम्पीरियल ट्विन टावर्स, जो अब तक भारत में सबसे ऊंची आवासीय इमारत है। वहीं, कोलकाता की एक और आवासीय इमारत को भी वह डिज़ाइन कर रहे हैं, जो 2018 में बनकर तैयार होने के साथ ही सबसे ऊंची आवासीय इमारत बन जाएगी।
मुंबई में पारसी परिवार में पैदा हुए, हफीज़ ने मुंबई विश्वविद्यालय और कोलंबिया विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। उनके बेहतरीन डिजाइन्स के लिए उन्हें अक्सर “Starchitect” कहकर सम्बोधित भी किया जाता है। जनवरी 2016 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।