मुस्लिम धर्मगुरुओं ने केंद्र सरकार के उस फैसले की तीखी आलोचना की है, जो हज के लिए महिलाओं के अकेले जाने की अनुमति देने से संबंधित है। सुन्नी बरेलवी धर्मगुरु ने सरकार के इस कदम को इस्लाम के खिलाफ बताया है। वे मानते हैं कि महिलाओं का अकेले हज पर जाना नाजायज है। वे तभी हज के लिए जा सकती हैं, जब वह अपने किसी रक्त संबंध वाले पुरुष सदस्य को साथ ले जाएं। धर्मगुरुओं ने इसे शरीयत के खिलाफ बताया है।
आला हजरत दरगाह के मौलाना मोहम्मद सलीम नूरी साहब ने भी इसे गलत करार दे दिया है। उन्होंने कहा कि हज के लिए महिलाओं का अकेले जाना पाप है। वे कहते हैं कि इस्लाम पांच स्तंभों पर टिका हुआ है। उसी में से एक हज है। महिला मेहरम यानी कि करीबी संबंधी को साथ लिए बिना हज करने नहीं जा सकती हैं।
गौरतलब है कि महिलाओं को अकेले हज जाने देने की अनुमति के लिए एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्ला ने केंद्र सरकार से अपील की थी। केंद्र सरकार ने इस मामले में गंभीर विचार करने बाद ही फैसला लिया है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहाः’हज कमिटी ऑफ इंडिया इस बारे में विचार कह रही है कि 45 वर्ष से ऊपर की महिला अगर अपने किसी करीबी पुरुष सदस्य के बिना ही हज जाना चाहती हैं तो उसे इसकी अनुमति मिल जाए।’
केंद्र सरकार ने शनिवार को नई हज नीति पेश की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए सब्सिडी की व्यवस्था समाप्त करने और 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम (रक्त संबंधी पुरुष) के हज पर जाने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया।
इस हज नीति के अनुसार अब 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं बिना मेहरम के हज पर जा सकेंगी, बशर्ते चार महिलाओं का समूह हो। मेहरम के लिए कोटा 200 से बढ़ाकर 500 किए जाने का भी प्रस्ताव दिया गया है। बता दें कि मेहरम उसे कहते हैं जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता, जैसे पिता, सगा भाई, बेटा और पौत्र-नवासा।