देश के सबसे बड़े बिज़नेसमैन मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की 12 दिसंबर को शादी होने जा रही है। ईशा की शादी इंडस्ट्रीयलिस्ट आनंद पीरामल के साथ होने जा रही है। मुकेश अंबानी और ईशा अंबानी की शादी से जुड़ी खबरें तो आप आजकल रोज़ देख ही रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आनंद पीरामल कौन हैं और किस परिवार से आते हैं?
आनंद पीरामल पीरामल ग्रुप के फाउंडर अजय पीरामल के बेटे हैं। आनंद खुद पीरामल इंडस्ट्रीज़ के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं। आनंद ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेनसिल्वेनिया से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया हैं। इसके अलावा उन्होंने हार्वड बिज़नेस स्कूल से एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया है। पीरामल इंडस्ट्रीज़ की शुरुआत तो सालों पहले ही हो गई थी। आनंद ने अब इसकी बागडोर संभाली है।
ऐसे हुई पीरामल इंडस्ट्रीज़ की शुरुआत
पीरामल इंडस्ट्रीज़ की शुरुआत सालों पहले आनंद पीरामल के परदादा सेठ पीरामल चतुर्भुज मखारिया ने की थी। सेठ पीरामल चतुर्भुज ने 50 रुपए से अपने काम की शुरुआत की थी। राजस्थान के बागड़ से मुंबई आए सेठ पीरामल चतुर्भुज ने कॉटन, सिल्क, सिल्वर जैसी कमोडिटी का लोकल ट्रेड स्टार्ट किया, जिसके कुछ साल बाद 1935 में देश की सबसे पुरानी और पहली रजिस्टर्ड कॉटन मिल खरीदी। ये कंपनी मखारिया ने बिज़नेसमैन गोकुलदास से खरीदी थी, जिसके बाद इस इंडस्ट्री को उन्होंने 1958 तक बखूबी संभाला।
1958 के बाद आनंद के दादा ने संभाली कमान
1958 में मखारिया की मृत्यु के बाद अजय पीरामल के पिता गोपीकृष्ण ने इस कंपनी की कमान संभाली। कमान संभालने के महज़ 4 साल बाद ही गोपीकृष्ण ने एक नई स्पिनिंग मिल की शुरुआत की, जिसकी लागत करीब 1 करोड़ रुपए थी। इसके बाद दूसरी स्पिनिंग मिल का भी अधिग्रहण किया। 1970 के दशक में कंपनी के फाउंडर और अपने दादा के सम्मान में बेटे ने अपना सरनेम बदलकर पीरामल रख लिया। तभी से इस परिवार को पीरामल के नाम से जाना जाने लगा। इसके बाद अपने पिता के बिज़नेस में अजय पीरामल ने मदद करना शुरू किया। बेटे की मदद से पिता ने भी अपने कारोबार को आगे बढ़ाते हुए VIP इंडस्ट्रीज़ और मिरिंडा ट्रल्स कंपनी की शुरुआत की।
आनंद के पिता ने किया बिज़नेस ज्वॉइन
22 साल की उम्र में अजय पीरामल ने जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट से एमबीए किया। फिर अपने पिता के टेक्सटाइल बिज़नेस को पूरी तरह से ज्वॉइन कर लिया। दो साल बाद पिता की मौत के कुछ समय बाद इस फ़ैमिली बिज़नेस का बंटवारा हो गया। बंटवारे के बाद अजय को टेक्सटाइल बिज़नेस और मिरिंडा टूल्स मिला। लेकिन कुछ दिन बाद ही मुंबई की सभी टेक्सटाइल मिल्स को ज़बरदस्ती बंद कर दिया गया। इसी बीच अजय के छोटे भाई की कैंसर से मौत हो गई, जिसके बाद पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी अजय पर आ गई। इस तंगहाली के दौर में अजय ने गुजरात ग्लास लिमिटेड कंपनी खरीदी और टेक्सटाइल बिज़नेस से निकलकर फॉर्मा बिज़नेस में एंटर करने का फ़ैसला किया। कुछ समय के बाद ऑस्ट्रेलिया की कंपनी निकोलस को खरीदकर दोनों को पीरामल ग्रुप में मर्ज कर दिया। इसके बाद कंपनी ने लगातार ग्रोथ करना शुरू कर दिया।
आनंद ने स्टार्टअप से की शुरुआत
साल 2005 में हुई आनंद पीरामल की एंट्री। आनंद को उनके पीरामल ई-हेल्थ स्टार्टअप के लिए जाना गया। इसके इलावा दूसरा स्टार्टअप वो लेकर आए रियल स्टेट का। साल 2010 में अमेरिकी कंपनी ने पीरामल हेल्थकेयर कंपनी के फार्मा सॉल्यूशन बिज़नेस को 17500 करोड़ रुपए में खरीदा। ये डील फार्मा इंडस्ट्री की दूसरी सबसे बड़ी डील थी। इसी साल कंपनी ने रियल एस्टेट में कदम रखा। आनंद ने अपनी पीरामल रिएल्टी कंपनी खोली। साथ ही वोडाफोन के 11 प्रतिशत शेयर्स भी खरीदे। इसके बाद साल 2017 में आनंद पीरामल इटरप्राइसेस के नॉन एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर बने और पीरामल ग्रुप के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर बने। आज के समय में कंपनी 100 देशों में कारोबार कर रही है। इसमें कंपनी का फार्मा, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट, ग्लास पैकेजिंग और रियल एस्टेट का बिज़नेस शामिल है।
देखा जाए तो कुल मिलाकर 98 साल पहले आनंद के परदादा ने जो बिज़नेस 50 रुपए से शुरू किया था, वो बिज़नेस आज करीब 67 हज़ार करोड़ पर पहुंच चुका है। ये पीरामस परिवार की मेहनत का ही नतीजा है, जो उन्होंने छोटे से बिज़नेस को इतना बड़ा बना दिया।